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पीलिया रोग में नीम का करें ऐसा इस्तेमाल, तुरंत मिलेगा आराम

By:Rashmi Upadhyay, Onlymyhealth Editorial Team,Date:Apr 26, 2018
नीम हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह रोगों के निदान में तो प्रयोग होता ही है, सौंदर्य प्रसाधनों का भी यह महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। इससे जुड़े स्‍वास्‍थ्‍यवर्धक फायदों के बारे में जानें।
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    नीम के फायदे

    नीम एक चमत्कारी वृक्ष माना जाता है। भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं वहां मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। स्‍वाद में कड़वा नीम अपने औषधीय गुणों के कारण बहुत ही मीठा माना जाता है। नीम हमारे शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। यह रोगों के निदान में तो प्रयोग होता ही है, सौंदर्य प्रसाधनों का भी यह महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। नीम के पेड़ के विभिन्‍न हिस्‍से जैसे पत्ते, छाल, फल, तेल आदि हमारे जीवन को रोगमुक्‍त बनाने में सहायक होते हैं। नीम में इतने गुण है कि यह कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है। नीम में डायबिटिज, बैक्टीरिया और वायरस से लड़ने के गुण पाए जाते हैं। नीम के तने, जड़, छाल और कच्चे फलों में शक्ति-वर्धक और रोगों से लड़ने का गुण भी पाये जाते हैं। इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है। इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली, एक्जिमा वगैरह को दूर करने में मदद करते हैं।
    नीम के फायदे

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    जलने और फोड़े फुंसियों के लिए नीम

    जले हुए स्‍थान पर नीम का तेल या पत्‍तों को पीस कर लगाने से आराम मिलता है। नीम की पत्तियों और तेल में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं। इसलिए कटे हुए स्‍थान पर नीम का तेल लगाने से टिटनेस का भय नहीं रहता। इसके अलावा यदि आप फोड़े और फुंसियों की समस्या से बचना चाहते है तो नीम के पत्ते, छाल और फलों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, अब इस पेस्ट को त्वचा पर लगाएं। इससे फोड़े−फुसियां तथा घाव जल्दी ठीक हो जाते हैं। नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर तथा ठंडा करके उस पानी से मुंह धोने से मुहांसे दूर होते हैं।
    जलने और फोड़े फुंसियों के लिए नीम

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    कान और दांतों के रोग के लिए नीम

    कान में नीम का तेल डालने से कान दर्द या बहने की समस्‍या ठीक हो जाती है। नीम का तेल तेज गर्म करके जला लें इसे थोड़ा ठंडा करके कान में कुछ दिन तक नियमित रूप से डालने से बहरापन में भी आराम मिलने की बात कही जाती है। इसके अलावा नींद दांतों के लिए भी लाभकारी होता है। नीम का दातुन नियमित रूप से करने से दांतों में पाये जाने वाले कीटाणु नष्‍ट हो जाते हैं। इससे मसूडे मजबूत व दांत चमकीले और निरोग होते हैं। मसूड़ों से खून आने और पायरिया होने पर नीम के छाल और पत्तों को मिलाकर इस पानी से कुल्‍ला करने से लाभ होता है।
    कान और दांतों के रोग के लिए नीम

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    पीलिया में नीम

    पीलिया में नीम का इस्‍तेमाल फायदेमंद होता है। पित्ताशय से आंत में पहुंचने वाले पित्त में रुकावट आने से पीलिया होता है। ऐसे में रोगी को नीम के पत्तों के रस में सोंठ का चूर्ण मिलाकर देना चाहिए। या फिर सिर्फ दो भाग नीम की पत्तियों का रस या छाल का क्‍वाथ और एक भाग शहद मिला कर पीने से पीलिया रोग में काफी फायदा होता है।
    पीलिया में नीम

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    पथरी में लाभदायक

    पथरी की समस्‍या से बचने के लिए लगभग 150 ग्राम नीम की पत्तियों को 1 लीटर पानी में पीसकर उबाल लें। इस पानी को सामान्‍य होने पर पी लें। नियमित रूप से ऐसा करने से पथरी निकल सकती है। पथरी यदि किडनी में है तो प्रतिदिन नीम के पत्तों की लगभग 2 ग्राम राख पानी के साथ लें। लाभ होगा।
    पथरी में लाभदायक

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    पेट संबंधी समस्‍याओं में नीम

    पेट संबंधी अनेक समस्याओं से निजात पाने में नीम बहुत सहायक होता है। पेट के कीड़ों को नष्ट करने के लिए नीम के पत्तों के रस में शहद और काली मिर्च मिलाकर सेवन करें। नीम के फूलों को मसलकर गर्म पानी में डालकर छानकर पी लें इससे कब्ज दूर होती है। नीम की पत्तियों को सुखाकर शक्कर मिलाकर खाने से दस्त में आराम मिलता है।
    पेट संबंधी समस्‍याओं में नीम

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    डायबिटीज और कोलेस्‍टॉल नियंत्रण में मददगार

    नीम डायबिटीज की रामबाण दवा है। व्यायाम की कमी तथा आहार में प्रोटीन की कमी से डायबिटीज होता है। सुबह के वक्‍त नीम का सत्व या जूस लेने से डायबिटीज नियंत्रण में रहती है। साथ ही नीम के तने की छाल तथा मेथी के चूर्ण का काढ़ा बनाकर कुछ दिनों तक नियमित पीने से डा‍यबिटीज में लाभ मिलता है। इसके अलावा नीम के पत्तों का जूस और एलोवेरा जूस के साथ मिलाकर रोजाना खाली पेट लेने से शुगर को कंट्रोल किया जा सकता है। इसके अलावा नीम एक रक्त-शोधक औषधि है, यह कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है। 200 ग्राम तक नीम पत्तियों के प्रयोग से कोलेस्‍टॉल की मात्रा काफी कम हो जाती है। नीम का महीने में 10 दिन तक सेवन करते रहने से हार्ट अटैक का खतरा कम हो जाता है।
    डायबिटीज और कोलेस्‍टॉल नियंत्रण में मददगार

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    त्‍वचा की खूबसूरती और बालों के लिए नीम

    नीम की पत्तियों का रस पीने से खून साफ होता है जिससे चेहरे की कांति बढ़ती है। नीम के तेल से पूरे शरीर की मालिश करें। इससे त्वचा रोगरहित होती है। इसके अलावा स्‍नान करते समय नीम की ताजी पत्तियों को पानी में डालकर इस पानी से स्‍नान करें। साथ ही नीम एक बेहतरीन हेयर कंडीशनर भी है, नीम की पत्तियों को पानी में उबालकर और पीस कर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट में शहद मिलाकर इसे बालों में लगाने से रूसी की समस्‍या खत्‍म होती है और बाल बहुत ही मुलायम और चमकीले भी हो जाते हैं।
    त्‍वचा की खूबसूरती और बालों के लिए नीम

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दांतों की कैविटी से छुटकारा दिलाते हैं ये 5 घरेलू उपचार, दर्द भी होता है दूर

मुंह में मौजूद एसिड के कारण दांतों के इनेमल खोखले होने लगते हैं जिसके कारण कैविटी का निर्माण होता है। लेकिन कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर दांतों में मजबूती बनाने के साथ प्राकृतिक रूप से कैविटी से लड़ा जा सकता है।
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    कैविटी से छुटकारा पाने के उपाय

    दांतों में छेद होने को वैज्ञानिक भाषा में दन्त क्षय या कैविटी कहते है। मुंह में मौजूद एसिड के कारण दांतों के इनेमल खोखले होने लगते हैं जिसके कारण कैविटी का निर्माण होता है। मुंह में मौजूद बैक्‍टीरिया (लार, खाद्य कणों एवं अन्य पदार्थों के साथ) दांतों कि सतह पर जमा होने लगते हैं जिसे प्लॉक कहा जाता है। प्‍लॉक में मौजूद बैक्‍टीरिया आपके खाने में मौजूद शुगर एवं कार्बोहाइडेट को अम्ल में परिवर्तित कर देता है इसी अम्ल के कारण दांत खोखले होने लगते हैं, फलत: कैविटी का निर्माण होता है। लेकिन कुछ घरेलू उपायों को अपनाकर दांतों में मजबूती बनाने के साथ प्राकृतिक रूप से कैविटी से लड़ा जा सकता है।
    कैविटी से छुटकारा पाने के उपाय

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    लौंग

    लौंग कैविटी के साथ-साथ किसी भी प्रकार की दांतों से जुडी समस्‍याओं के लिए रामबाण होता है। एंटी-इंफ्लेमेंटरी, एनाल्‍जेसिक और एंटी-बैक्‍ट‍ीरियल गुणों के कारण लौंग दर्द को कम करने और कैविटी को फैलने से रोकता है। समस्‍या होने पर 1/4 चम्‍मच तिल के तेल में 2 से 3 बूंदें लौंग के तेल की मिलाकर लें। इस मिश्रण को रात को सोने से पहले कॉटन बॉल में लेकर प्रभावित दांत में लगाये।   
    लौंग

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    नमक

    नमक में मौजूद एंटीसेप्टिक और एंटीबायोटिक गुणों के कारण यह कैविटी के इलाज के लिए इस्‍तेमाल किया जाता है। यह दर्द और सूजन को कम करने, किसी भी प्रकार के संक्रमण और मुंह में बैक्‍टीरिया की वृद्धि को रोकने में मदद करता है। इसके लिए एक चम्‍मच नमक को गर्म पानी में मिला लें। फिर इस पानी को मुंह में कुल्‍ला करें। समस्‍या के दूर होने तक इस उपाय को दिन में तीन बार करें। इसके अलावा, आधा चम्‍मच नमक, थोड़ा सा सरसों का तेल और नींबू का रस मिलाकर पेस्‍ट बना लें। इस पेस्‍ट से कुछ मिनटों तक मसूड़ों पर मसाज करें। बैक्‍टीरिया को मारने के लिए इस उपाय को कुछ दिन तक दिन में दो बार करें।
    नमक

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    ऑयल पुलिंग

    ऑयल पुलिंग बहुत ही पुराना नुस्‍खा है जो कैविटी को कम करने के साथ-साथ मसूढ़ों से खून बहना और सांस की बदबू को भी दूर करता है। साथ ही यह दंत समस्याओं के विभिन्न प्रकारों के लिए जिम्मेदार हानिकारक बैक्‍टीरिया को मुंह से साफ करने में मदद करता है। इसके लिए तिल के तेल की एक चम्‍मच को मुंह में रखें। फिर इससे 20 मिनट तक मुंह में रखकर थूक दें। लेकिन इसे निगलने से बचें। फिर अपने मुंह को गुनगुने पानी से धो लें। रोगाणुरोधी लाभ पाने के लिए नमक के पानी का प्रयोग करें। फिर हमेशा की तरह अपने दांतों को ब्रश करें। इस उपाय को रोजाना सुबह खाली पेट करें। यह उपाय सूरजमुखी या नारियल के तेल के साथ भी किया जा सकता है।
    ऑयल पुलिंग

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    लहसुन

    एंटी बैक्‍टीरियल के साथ-साथ एंटीबायोटिग गुणों से समृद्ध होने के कारण, लहसुन दांतों के टूटने और कैविटी की समस्‍या को दूर करने में मदद करता है। यह दर्द से राहत देने और स्‍वस्‍थ मसूड़ों और दांतों के लिए भी अच्‍छा होता है। 3 से 4 लहसुन की कली को कुचलकर और 1/4 चम्‍मच सेंधा नमक मिलाकर पेस्ट बना लें। फिर इसे संक्रमित दांत पर लगाकर 10 के लिए छोड़ दें। कैविटी को कम करने के लिए इस उपाय को कुछ दिनों के लिए दिन में दो बार करें।  
    लहसुन

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    मुलेठी

    अमेरिकन केमिकल सोसायटी के जर्नल ऑफ नेचुरल प्रोडक्ट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, मुलेठी की जड़ दांतों को स्‍वस्‍थ रखने में मदद करती है। मुलेठी में मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुण बैक्‍टीरिया के कारण होने वाली कैविटी के विकास को रोकने में मदद करता है। इसके अलावा यह जडी-बूटी प्‍लॉक को कम करने में भी मदद करती है। नियमित रूप से दांतों में ब्रश करने के लिए मुलेठी की जड़ के पाउडर का प्रयोग करें। इसके अलावा आप टूशब्रश करने के लिए मुलेठी की स्‍टीक का इस्‍तेमाल कर सकते हैं।
    मुलेठी

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    हल्दी

    आयुर्वेद में, हल्दी को कैविटी दर्द से राहत प्रदान करने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसमें मौजूद एंटी-बैक्‍टीरियल गुणों के साथ एंटी-इंफ्लेमेंटरी गुण मसूढ़ों को स्‍वस्‍थ रखने के साथ बैक्‍टीरियल संक्रमण के कारण दांतों के गिरने की समस्‍या को भी रोकता है। प्रभावित दांत पर थोड़ी सा हल्‍दी पाउडर लगाकर इसे कुछ मिनटों के लिए छोड़ दें। फिर गुनगुने पानी से अच्‍छे से कुल्‍ला कर लें।
    हल्दी

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    नीम

    नीम भी कैविटी के इलाज के लिए एक अन्‍य लोकप्रिय उपाय है। इसकी एंटी-बैक्‍टीरियल गुण बैक्‍ट‍ीरिया के कारण होने वाली कैविटी को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा यह दांतों और मसूड़ों को स्‍वस्‍थ और मजबूत बनाने में भी मदद करता है। दांतों और मसूड़ों पर नीम के पत्तों के रस रगड़ें, कुछ मिनट के लिए छोड़ दें और फिर गुनगुने पानी से कुल्ला कर लें। इस उपाय को दिन में एक या दो बार करें। इसके अलावा आप नीम की स्टिक का इस्‍तेमाल दांतों में ब्रश करने के लिए भी कर सकते हैं।
    नीम

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    आंवला

    आंवला जैसी जड़ी-बूटी भी कैविटी के इलाज में मददगार होती है। इसमें भरपूर मात्रा में मौजूद एंटीऑक्‍सीडेंट और विटामिन सी के कारण यह बैक्‍टीरिया और संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। यह संयोजी ऊतक के विकास को बढ़ावा देकर मसूड़ों के लिए बहुत लाभकारी होती है। इसके अलावा, यह मुंह को साफ करने और बदबूदार सांस से छुटकारा पाने में आपी मदद करता है। नियमित रूप से ताजा आंवला खाये। यह आधा गिलास पानी के साथ आधा चम्‍मच आंवला पाउडर नियमित रूप से लें।
    आंवला

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2 comments:

Sweet Clinics said...

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Dharmendra Verma said...

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